Maa Ki Har Baat Niraali Hai (मा की हर बात निराली है)– Maa Durga Bhajan


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पास की सुनती है दूर  की सुनती है
गुमनाम के संग संग मशहूर की सुनती है
माँ तो मा है मा के भक्तों
माँ  तो हर मजबूर की सुनती है
माँ  की हर बात निराली है
बात निराली है की मा की हर करामात निराली है
महादाती से हर किसी को मिली सौगात निराली है
माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है

वक्त के चाल बदले दुख के जंजाल बदले
इसके चर्नो में झुककर बड़े कंगल बदले
यहा जो आए स्वाली कभी वो जाए ना खाली
ये लाती पतझड़ में भी हर चमन में हरियाली
हो... काली रातों में लाती प्रभात निराली है

माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है

दया जब इसकी होती तो कंकर बनते मोटी
जिसे ये आप जगा दे ना फिर किस्मेट वो सोती
गमों से घिरने वाले बड़े इश्स मा ने संभाले
फासे मझधार में बेड़े इसी ने बाहर निकले
हो...  इसकी मीठी ममता की बरसात निराली है

माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है

दुख कटती है ये सुख बताती है
हमें पालती  है ये दिन रात ही
जादू इसका अजीब देखो होके करीब
ये तो बदले नसीब दिन रात ही
हो... इसकी रहंत हर निर्दोष के साथ निराली है

माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है
बात निराली है की मा की हर करामात निराली है
महादाती से हर किसी को मिली सौगात निराली है
माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है
माँ  की हर बात निराली है

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