मीठे रस से भरो रे राधा रानी लागे, महारानी लागे। ( Mithe Ras Se Bharyo Radha Rani Lage )

मीठे रस से भरो रे राधा रानी लागे, महारानी लागे।


मीठे रस से भरो रे राधा रानी लागे, महारानी लागे।
मने खारा-खारा यमुना जी का पानी लागे-2

|॥ चौपाई ॥

काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं,
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले,
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फूले ।।
मीठे रस से भरो रे...

मीठे रस से भरो रे राधा रानी लागे, महारानी लागे।
मने खारा-खारा यमुना जी का पानी लागे-2
यमुना जी तो कारी-कारी, राधा गोरी-गोरी ।
वृन्दावन में धूम मचावे बरसाने की छोरी-2
ब्रज धाम राधा जू की राजधानी लागे ।
मीठे रस से भरो रे...

कान्हा नित मुरली में तेरे सुमरे बारंबार।।
कोटिन रूप धरे मनमोहन तो न पाव पार-2
मीठे रस से भरो रे...

न भावे मन माखन मिश्री अब ना कोई मलाई।
प्यारी जिवड़िया ने भावे राधे नाम मलाई-2 ॥
ब्रजभान की लाली तो गुड़ धानी लागे ।
मने खारा-खारा यमुना जी का पानी लागे-2
मीठे रस से भरो रे...

राधा राधा नाम रटत है जो नर आठों याम |
तिनकी बाधा दूर करत है राधा राधा नाम |
राधा नाम मे सफल जिंदगानी लागे ||
मने खारा-खारा यमुना जी का पानी लागे-2
मीठे रस से भरो रे..


SANKIRTAN - MITHE RAS BY JAYA KISHORI JI

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