गलियां चरों बंद हुई मिलूं ,कैसे हरी से जाये,
ऊँची नीची राह रपटीली ,पावं नहीं ठहराए.
सोच सोच पग धरूं जतन से , बार बार डीग जाये ,
अब राधे के सिवा कोई ना, परली पार लगाए.
राधिके ले चल परली पार,
राधिके ले चल परली पार।
जहां विराजे नटखट नागर,
नटखट नन्द कुमार
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार,
गुण अवगुण सब उनको अर्पण,
पाप पुण्य सब उनको समर्पण,
मैं उनके चरणो की दासी
वो है प्राण आधार ॥
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार...
उनसे आश लगा बैठी हूँ ,
लज्जा शील गवा बैठी हूँ ,
सवारियां मैं तेरी रागिनी ,
तू मेरी मल्हार ॥
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार...
तेरे सिवा कोई चाह नहीं है,
तेरे बिना सूझती राह नहीं है,
मेरे प्रीतम, मेरे माझी,||
सुनियो करण पुकार,
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार...
आनंद धन जहा बरस रहा,
पत्ता पत्ता हरष रहा है,
बहुत हुई अब हार गयी मैं,
पड़ी पड़ी मझदार ॥
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार...
जहां विराजे नटखट नागर,
नटखट नन्द कुमार
किशोरी ले चल परली पार…
राधिके ले चल परली पार,
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